AGHORACHARYA BABA KINARAM AGHOR SODH EVAM SEVA SANSTHAN

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माँ अमिला भवानी मंदिर

Event Date :07-01-2025

क़रीब 250 साल बाद महाराजश्री द्वारा प्रतिष्ठित हुईं माँ अमिला भवानी|

कंबल वितरण जैसे सामाजिक सरोकार के ज़रिये 'माँ अमिला भवानी मंदिर' में महाराजश्री के आगमन की अदभुत, अविश्वसनीय घटना |

उत्तर-प्रदेश के वाराणसी जिले (काशी) से क़रीब 90-95 किलोमीटर की दूरी पर एक मंदिर है- जिसका नाम है - 'माँ अमिला भवानी मंदिर' । ये मंदिर उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के ओबरा डिवीज़न के आदिवासी बहुल कोन थाना क्षेत्र में है ।
सुदूर घने जंगलों के बीच स्थित, जिले के प्रसिद्द, विजयगढ़ किले के सामने से होते हुए आप इस मंदिर तक पहुँच सकते हैं । जंगलों के बीच स्थित इस मंदिर तक पहुँचने के लिए आपके पास अपना साधन होना ज़रूरी है क्योंकि यहां आने के लिए कोई साधन नहीं है, और शाम होते होते इस जगह से वापिस लौट जाना ही बेहतर है । यहां ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है । 8-10 पूजा सामग्री की दुकानें हैं लेकिन शाम होते-होते वो भी बंद हो जाती हैं ।
अब आइये जानते हैं 'माँ अमिला भवानी मंदिर' के बारे में । दरअसल भगवान शिव का मानव तन लिए अघोर परम्परा के वर्तमान स्वरुप के अधिष्ठाता/ईष्ट/आराध्य/मुखिया अघोराचार्य महाराजश्री बाबा कीनाराम जी की प्रथम महिला शिष्या, तत्कालीन बंग प्रदेश की, एक महिला थीं । आप बाबा कीनाराम जी से दीक्षित होने के बावज़ूद बाबा कीनाराम जी के सानिध्य में कम रहीं । आप भ्रमण पर ही रहती थीं ।
ऐसे में ,1771 में, जब बाबा कीनाराम जी ने अपनी तत्कालीन स्थूल काया का त्याग कर समाधि लिए थे तो आप उनका दर्शन नहीं कर पायी थीं । लेकिन बाद में सोनभद्र के इसी स्थान (जहाँ आज 'माँ अमिला भवानी मंदिर' स्थित है) पर अपने गुरु भाई और वाराणसी स्थित अघोर परंपरा के विश्वविख़्यात तीर्थ स्थान 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड' के द्वितीय पीठाधीश्वर बाबा बीजाराम जी से मिली थीं और निवेदन किया था कि "आप मुझे, मेरे गुरु महाराज, बाबा कीनाराम जी के जीवन प्रसंग के बारे में विस्तार से बताकर मुझे कृतार्थ करें"।
और इसके बाद इसी स्थान पर, बाबा बीजाराम जी के श्रीमुख से, अघोराचार्य बाबा कीनाराम जी का जीवन प्रसंग सुनने के बाद आप महिला शिष्या जी ने अपना देह त्याग दिया । बाद में इसी स्थान पर आप माता जी के नाम से जानी जाती रहीं । आज की तारीख में कोई इन्हें वनदेवी तो कोई माँ अमिला भवानी के नाम से जानता है ।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण वृत्तांत ये है कि बाबा कीनाराम जी ने 1771 में, वाराणसी स्थित अघोर परंपरा के विश्वविख़्यात तीर्थ स्थान 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड' में, समाधि लेने के दौरान, शोक-संतप्त अपने भक्तों को सांत्वना देते हुए, ये आकाशवाणी किया था कि "घबड़ाओ मत ! दैहिक-दैविक आक्रमण होने के समय याद करना और इस स्थली पर आते रहना, कल्याण होता रहेगा। यहाँ की अखंड धूनिके सन्निकट और समाधि में माता हिंगलाज के यंत्र के निकट मैं हमेशा विद्यमान रहूँगा । इस पीठ की ग्यारवहीं (11वीं) गद्दी पर, बतौर पीठाधीश्वर, बाल रूप में जब, मैं, पुनः आऊंगा तो पूर्ण जीर्णोद्धार और नवीनीकरण होगा ' ।
यहाँ ये बात प्रासंगिक है कि वाराणसी स्थित अघोर परंपरा के विश्वविख़्यात तीर्थ स्थान 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड' में पीठाधीश्वर परम्परा बाबा कीनाराम जी ने ही शुरू किया था और वो स्वयं इस पीठ के प्रथम पीठाधीश्वर रहे ।
अब आश्चर्य देखिये, कि....... 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड' की 11वीं गद्दी पर अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी के नाम-रुप के साथ, बतौर पीठाधीश्वर, बाबा कीनाराम जी बाल रुप में ही आसीन हुए । ग़ौरतलब है कि आज अघोर परंपरा के विश्वविख़्यात तीर्थ स्थान 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड' सहित पूरी दुनिया का नवीनीकरण एवं जीर्णोद्धार चल रहा है । हर जगह तेज़ी से परिवर्तन हो रहा है, और, इसी कड़ी में माँ अमिला भवानी भी प्रतिष्ठित हुईं ।
अपने वर्तमान स्वरुप (अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी के नाम रुप ) में बाबा कीनाराम जी इस मंदिर में आये और ,कंबल वितरण जैसे सामाजिक सरोकार की आड़ में, अपनी प्रथम महिला शिष्या, माँ अमिला भवानी, को प्रतिष्ठित किया और इस बात पर मुहर लगाई कि आपका न कोई आदि है न अंत है, आप महाराजश्री अनंत हैं । किसी भी कलि -काल में शरणागत अपने शिष्यों और भक्तों को, आप, प्रतिष्ठित भाव में ही देखना चाहते हैं ।
7 जनवरी 2025 को उत्तर-प्रदेश के सोनभद्र जिले के कोन पुलिस थाना क्षेत्र स्थित 'माँ अमिला भवानी मंदिर, में महाराजश्री के आगमन की घटना अदभुत है, अचंभित कर देने वाली है और कई मायनों में अविश्वसनीय और अकल्पनीय है । लेकिन प्रत्यक्षं किं प्रमाणं ।
सहमत होने, न होने का सर्वाधिकार आपके पास पहले से ही सुरक्षित है।
'अघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान' (ABKASESS) वाराणसी की महिला विंग, 'महिला मंडल', ने कड़कड़ाती ठण्ड में ज़रूरतमंद लोगों को कम्बल वितरित किया ।
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के ओबरा डिवीज़न के सुदूर आदिवासी बहुत इलाक़े में, कोन पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत, 'महिला मंडल' ने दस्तक दिया । जंगलों के बीच स्थित प्रसिद्द विजयगढ़ क़िले के आगे कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित 'माँ अमिला भवानी मंदिर' कैंपस में 7 जनवरी 2025 को ABKASESS की महिला विंग, 'महिला मंडल', की टीम सुबह ही पहुँच गयी ।
ABKASESS अध्यक्ष, अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी, की अध्यक्षता तथा मार्गदर्शन में अघोराचार्य महाराजश्री बाबा कीनाराम जी तथा अघोरेश्वर महाप्रभु के चित्रों पर माल्यार्पण व् आरती के पश्चात कम्बल वितरण का कार्यक्रम शुरु हुआ ।
संस्था के समर्पित सदस्य तथा उत्साही युवा ब्लॉक प्रमुख प्रवीण कुमार सिंह के सहयोग से हुए इस कम्बल वितरण समारोह में सर्वप्रथम (ABKASESS) संस्था का संक्षिप्त परिचय देने के बाद, क़रीब 300 ज़रुरतमंद लोगों को, कम्बल वितरित किया गया । बाद में एक भंडारा भी आयोजित हुआ जिसमें सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया ।

 

कम्बल वितरण

महिला मंडल के द्वारा कम्बल वितरण, सोनभद्र

कंबल वितरण

(ABKASESS) वाराणसी की महिला विंग

ज़रूरतमंद लोगों को कंबल वितरण