Aghorpeeth
Aghoracharya Baba Kinaram Aghor Sodh Evam Seva Sansthan
"अपने आचरण से समाज व राष्ट्र-निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दें - राष्ट्रीय संगोष्ठी में अघोराचार्य का आव्हान
उत्तर प्रदेश का आज़मगढ़ जिला रविवार, 13 जनवरी 2025, को एक ऐतिहासिक पल की गवाही देता नज़र आया । अवसर था, भगवान शिव के सर्वाधिक सत्यम-शिवं-सुंदरम तथा सर्वाधिक कल्याणकारी स्वरुप, अघोर /अघोरी परंपरा, पर आधारित 'राष्ट्रीय संगोष्ठी' का ।
अघोर परम्परा के विश्वविख्यात हेडक्वार्टर, 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड', स्थित नामचीन संस्था 'अघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान' के तत्त्वाधान में आयोजित इस संगोष्ठी में देश के कोने कोने से आए विद्द्वानों एवं शिक्षाविदों ने अघोर परंपरा पर अपने विचार व्यक्त किये । पूरी दुनिया में अघोर के ईष्ट, आराध्य, मुखिया और 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड' के वर्तमान पीठाधीश्वर अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी की अध्यक्षता व मार्गदर्शन में हुई इस संगोष्ठी में वक्ताओं ने अघोर शब्द की विस्तार से व्याख्या किया और समाज के लिए , इसे, शिव का अदभुत वरदान बताया ।
''अघोर परम्परा, 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं- कुण्ड' और समाज में इसकी प्रासंगिकता'' शीर्षक के तहत इस राष्ट्रीय गोष्ठी में वक्ताओं ने भगवान शिव के सरल, सहज, सुंदर रुप, अघोर, की विकृत और घृणास्पद छवि पेश करने वालों के बौद्धिक स्तर पर सवाल उठाते और उन्हें गहन शोध की सलाह देते हुए ये साफ़ किया कि "अघोर किसी सम्प्रदाय या धर्म विशेष पर आधारित कोई पंथ नहीं है" । वक्ताओं ने अघोर को भगवान शिव का सर्वाधिक कल्याणकारी स्वरुप करार देते हुए समाज के हित में इसे बेहद प्रासंगिक और ज़रुरी बताया ।