AGHORACHARYA BABA KINARAM AGHOR SODH EVAM SEVA SANSTHAN

News Details

News & Event Details

राष्ट्रीय संगोष्ठी, आज़मगढ़

Event Date :13-04-2025

"अपने आचरण से समाज व राष्ट्र-निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दें - राष्ट्रीय संगोष्ठी में अघोराचार्य का आव्हान

उत्तर प्रदेश का आज़मगढ़ जिला रविवार, 13 जनवरी 2025, को एक ऐतिहासिक पल की गवाही देता नज़र आया । अवसर था, भगवान शिव के सर्वाधिक सत्यम-शिवं-सुंदरम तथा सर्वाधिक कल्याणकारी स्वरुप, अघोर /अघोरी परंपरा, पर आधारित 'राष्ट्रीय संगोष्ठी' का ।

अघोर परम्परा के विश्वविख्यात हेडक्वार्टर, 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड', स्थित नामचीन संस्था 'अघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान' के तत्त्वाधान में आयोजित इस संगोष्ठी में देश के कोने कोने से आए विद्द्वानों एवं शिक्षाविदों ने अघोर परंपरा पर अपने विचार व्यक्त किये । पूरी दुनिया में अघोर के ईष्ट, आराध्य, मुखिया और 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड' के वर्तमान पीठाधीश्वर अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी की अध्यक्षता व मार्गदर्शन में हुई इस संगोष्ठी में वक्ताओं ने अघोर शब्द की विस्तार से व्याख्या किया और समाज के लिए , इसे, शिव का अदभुत वरदान बताया ।

''अघोर परम्परा, 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं- कुण्ड' और समाज में इसकी प्रासंगिकता'' शीर्षक के तहत इस राष्ट्रीय गोष्ठी में वक्ताओं ने भगवान शिव के सरल, सहज, सुंदर रुप, अघोर, की विकृत और घृणास्पद छवि पेश करने वालों के बौद्धिक स्तर पर सवाल उठाते और उन्हें गहन शोध की सलाह देते हुए ये साफ़ किया कि "अघोर किसी सम्प्रदाय या धर्म विशेष पर आधारित कोई पंथ नहीं है" । वक्ताओं ने अघोर को भगवान शिव का सर्वाधिक कल्याणकारी स्वरुप करार देते हुए समाज के हित में इसे बेहद प्रासंगिक और ज़रुरी बताया ।

गोष्ठी के अंत में आशीर्वचन के अंतर्गत अघोराचार्य महाराजश्री ने कहा कि "हम सभी को अपने आचरण में बदलाव लाकर समाज और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देना है" । अघोराचार्य ने उम्मीद जताया कि "इस संगोष्ठी में आए लोग यहाँ व्यक्त किये गए विचारों से लाभान्वित हुए होंगे और समाज में अपने आचरण से एक अच्छे समाज व राष्ट्र की परिकल्पना को साकार करने का प्रयास करेंगे" ।
इस अवसर पर महाराजश्री ने आज़मगढ़ सहित देश के कोने-कोने से आए वक्ताओं कार्यकर्ताओं और विशिष्टजनों का शॉल, प्रशस्ति-पत्र और स्मृति चिन्ह देकर अभिनंदन किया ।
ग़ौरतलब है कि इस अनूठी 'राष्ट्रीय संगोष्ठी' के आयोजन की चर्चा बौद्धिक और ख़बरनवीसों की जमात में बहुत दिनों से चल रही थी ।

संगोष्ठी शुभारंभ

पूजन करते हुए महाराजश्री

प्रशस्ति-पत्र और स्मृति चिन्ह

सत्यम-शिवं-सुंदरम