AGHORACHARYA BABA KINARAM AGHOR SODH EVAM SEVA SANSTHAN

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अवतरण दिवस

Event Date :01-05-2025

अघोराचार्य के 'अवतरण दिवस' पर 33 युगल बंधे परिणय सूत्र में

दहेज़ और ख़र्चीली शादियों के ख़िलाफ़ सबसे सशक्त मुहिम, 'सामूहिक विवाह', का प्रचलन बढ़ रहा है। लाखों ज़रुरतमंद परिवारों का सहारा बनते 'सामूहिक विवाह' के आयोजनों ने सिर्फ़ ज़रूरतमंद परिवारों में उम्मीद ही नहीं जगाई है बल्कि सामाजिक चेतना और जागरूकता के लिहाज़ से भी 'सामूहिक विवाह' का चलन प्रासंगिक हो चला है । इसी कड़ी में 01 मई को रविन्द्रपुरी स्थित विश्वविख्यात अघोरपीठ, 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड', में 33 जोड़े विवाह के बंधन में बंधे ।

कार्यक्रम की शुरुवात रात्रि 7:45 पर, सम्पूर्ण संसार में अघोर परंपरा के आराध्य-ईष्ट और 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड' के वर्तमान पीठाधीश्वर, अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी, के 'अवतरण दिवस' मनाने से हुई । महाराजश्री की उपस्थिति में हज़ारों भक्तों व श्रद्धालुओं ने हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए पीठाधीश्वर जी से केक काटने का आग्रह किया। भक्तों के आग्रह पर अघोराचार्य ने केक काटा, जिसे भक्तजनों के बीच प्रसाद के तौर पर वितरित किया गया । इसके बाद शुरू हुआ 'सामूहिक विवाह कार्यक्रम' ।

'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड' के तत्वाधान में आयोजित 'सामूहिक विवाह कार्यक्रम' में देश भर से चयनित 33 ज़रूरतमंद परिवारों के युवक-युवतियों का घर बसा ।

बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी की अध्यक्षता और मार्गदर्शन में अग्रणी सामाजिक संस्था 'अघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान' के सौजन्य से आयोजित इस 'सामूहिक विवाह समारोह' का नज़ारा देखने लायक था । गज़ब का उत्साह और उल्लास लोगों में था । भक्तों के बीच स्वयसेवक बनने की होड़ थी। हर कोई इस पवित्र यज्ञ में अपना योगदान देने को आतुर था ।

वहीं दूसरी ओर वर-वधू पक्ष को रत्ती-मात्र के भी आर्थिक बोझ का एहसास नहीं करना पड़ा । यहाँ तक कि उन्हें घर से ले आने और ले जाने तक का व्यय भी संस्थान और संस्थान के सहयोगियों द्वारा किया गया ।

दोनों पक्ष को आर्थिक सहयोग राशि के अलावा उन्हें ज़रूरी वैवाहिक सहूलियत उपलब्ध कराई गयी जो विवाह के अवसर पर और घरेलु उपयोग में महत्वपूर्ण मानी जाती है । दोपहर में आम वैवाहिक रिवाज़ों के निर्वाह के साथ-साथ सभी वर-वधू को हल्दी की रस्म भी करवाई गयी और विवाह के अवसर पर गाये जाने वाले लोकगीतों से भी कार्यक्रम को घरेलु माहौल में ढाला गया ।

रात्रि आठ बजे से उम्दा क़िस्म के खानपान, शानदार साज-सज्जा और अघोरपीठ परिसर के अन्दर बड़ी-बड़ी टी.वी. स्क्रीन के ज़रिये सर्वत्र प्रसारण के चलते 'सामूहिक विवाह कार्यक्रम' की रौनक देखने लायक थी ।

इस कार्य्रकम की सबसे बड़ी ख़ासियत रही कि इस कार्यक्रम की चर्चा, संस्थान की देश भर में फ़ैली शाखाओं के ज़रिये सूदूर क्षेत्रों ख़ासतौर पर, अति विपन्न आदिवासी क्षेत्रों और परिवारों तक पहुँची । इसका फ़ायदा ये हुआ कि संस्थान को असल ज़रुरतमंद परिवारों तक पहुँचने में आसानी हुई ।

विश्वविख्यात अघोरपीठ 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड' में हज़ारों लोगों की उपस्थिति में संपन्न हुए इस कार्यक्रम की चर्चा इसलिए भी ज़ोरों पर थी, क्योंकि ये कार्यक्रम पूर्व की तरह, संस्थान के तत्वाधान में, हुए अनेकों सामाजिक कार्यक्रम की तरह एक अघोरी के सामाजिक सरोकारों की स्पष्ट गवाही फ़िर से दे रहा था और इस मिथक को बेबुनियाद साबित कर रहा था कि अघोर और अघोरी समाज के नज़दीक नहीं है ।

सामूहिक विवाह कार्यक्रम

33 चयनित युवक-युवतियों की हल्दी रस्म

सहयोग राशि प्रदान करते हुए महाराजश्री